Monday, February 15, 2010

पिछले कुछ दिन-

बहुत दिन हो गए लिखे हुए, लिखने के लिए कुछ है भी नही.....इसलिए छोटे छोटे प्रकरण लिख रहा हूँ....लेकिन सबसे पहले अभी तक के 169 पाठको को शुक्रिया

पिछली पोस्ट क्रिकेट की थी तो सबसे पहले उसी पर, स्टार न्यूज़ के पत्रकारों ने मिलकर आपस में क्रिकेट खेलने का निश्चय किया....मैंने लोगो को इकठ्ठा भी किया ...5 लोगो से शुरू हुआ सफ़र अब 23 लोगो तक पहुँच गया है,,....वाकई में मज़ा आ रहा है. ...एक दिन मैंने ठीक ठाक अर्धशतकीय पारी खेली ....जिसकी प्रशंसा लगभग हर किसी ने की, उस दिन मुझे हीरो जैसा सम्मान मिला- हालाँकि मैच हार गए......शाम को अरुण जी ने बड़े मज़ेदार तरीके से कहा- "वाह रवि आज तो तुमने बढ़ी शानदार पारी खेली- ...मै मुस्कुरा दिया- उन्होंने ने भी लम्बा पॉज़ लिया और फिर मुस्कुराते हुए बोले -"लेकिन मैच हार गए" ......मै झेंप गया......उनसे ये प्रतिक्रिया अपेक्षित भी दी, वो विरोधी टीम में जो थे ...खैर निसंदेह वो कमाल के कीपर है ......मै ज़्यादातर सिद्धार्थ शर्मा की टीम में रहता हूँ और उस दिन मैच सीरीज 1-1 से बराबर रही ..........14 फ़रवरी को मै ज़रूरी काम से घर गया हुआ था...इसी बीच कप्तानी को लेकर अनावश्यक विवाद हुआ...खैर अब सब ठीक है.....कूटनीतिक प्रयास रंग लाये ......

इसी बीच इश्किया और माय नेम इज खान के प्रीमियर शो देखे.....इश्किया का चैनल पर रिवियु भी किया...दोनों फिल्मे ठीक थी, और एक बार ज़रूर देखि जा सकती है

रविवार को घर गया हुआ था, वैलेंटाइन होने के कारन लोगो ने कुछ अलग ही अंदाज़ा लगा लिया, कुछ ने फेसबुक में भी लिखा लेकिन ज़्यादातर ने फोन करके या एसएम्एस करके पूछा....मै फिर से साफ़ कर दूँ की मै घर पर था और एक पारिवारिक पूजा में शामिल होने गया था.....खैर मेरे छोटे भाई ने काफी बड़े बाल रख रखे है जिनसे मेरे पापा को खासी चिढ है., उन्होंने उससे कटाने को कहा तो मेरे भाई ने कहा की वो इस बार काफी छोटे छोटे बाल रखेगा, वो फिर उखड गए और बोले की यार तुम इतने अतिवादी क्यूँ हो, मुझे बड़ा मज़ा आया, कुछ वक़्त पहले मेरे साथ भी ऐसा होता था

खैर घर से वापस ऑफिस, सच कहूँ तो ऑफिस भी घर हो गया है, यहाँ के लोग ही मेरी ज़िन्दगी है, सच कहूँ तो कुछ एक को छोड़ कर ऑफिस का हर शख्स मुझे दोस्त लगता है.....बाहर मेरे ज्यादा दोस्त नहीं है,....कुछ है तो वो भारतीय विद्या भवन के है, .......उससे पहले के दोस्तों से तो अब फोन पर भी बाते नहीं हो पाती, इस तरह से कहूँ तो अब स्टार न्यूज़ के बाहर मेरी दुनिया न के बराबर है, और मुझे कोई अफ़सोस नहीं है, ......क्यूंकि मै यहाँ के लोगो से खुश हूँ,......क्रिकेट खेलने में मज़ा आ रहा है....गासिप की दिनिया भी जवान है.......खासकर हिमांशु के पास हर दिन एक नया फ़साना होता है....उन्होंने एक खास मामले में मुझे काफी पीछे छोड़ दिया पर मुझे कुबूल है...

कुल मिलकर सब ठीक है .........Aal iz Well

नोट- नहीं प्रणय, मै नया ब्लाग लिखने के लिए कुछ नहीं लेता....समय मिलता है तो लिख देता हूँ,,,...याद दिलाने के लिए शुक्रिया ..:)

Friday, February 5, 2010

मित्रो को मैच खेलने के लिए बुलाना था, सोचा की थोड़े अंदाज़ से बुलाया जाय

देश संकट में है

मित्रो,
देश संकट में है, भारत माता का स्वाभिमान ललकारा जा रहा है, प्रश्न अब सत्ता का नहीं बल्कि अस्तित्व का हो गया है….. ज़िम्मेदारिया बढ़ गयी है. …..गर्व है की क्रिकेट में हम पहले पायदान में है, पर बहुत दूर से अफ्रीकी कबीलाई लड़ाके आ रहे है, ….ठीक वैसे ही जैसे गोरी गज़नवी आये थे...हमें हमारी ही ज़मीन पर ललकारने, चुनौती देने और हमें पहले पायदान से धकेलने....स्थितिया तब और मुश्किल हो गयी जब द्रविड़ देश का अचूक विश्वसनीय बल्लेबाज़ घायल हो गया और पंचनद प्रदेश का आक्रामक सिपाही भी चोटिल हो गया, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण हमेशा से चिंता का विषय रहे है......ऐसे में दायित्व है हमारा, कि हम अपनी ज़िम्मेदारिया पहचाने.....अधिकारों के लड़ाई के बीच कर्त्तव्य का पथ चुने.....कहा गया है कि युद्ध कि विषम स्थित में नागरिको को सैनिको सा व्यवहार करना चाहिए.......तो बल्ले और गेंद पर हाथ आजमाने के लिए तैयार हो जाइये....वक़्त रविवार सुबह 9 बजे का और स्थान हाई वे के पास का "डी" मैदान निश्चित हुआ है....समय पर पहुचना ज़रूरी है वरना हमारे अपने देशवासी मैदान पर कब्ज़ा कर लेंगे .....

विशेष- ये बड़े सौभग्य कि बात है कि बड़े भाई श्री अनुराग शर्मा हमारे मुख्य संरक्षक के तौर पर जुड़ रहे है.....बड़े भाई श्री शैलेन्द्र कुमार जी अभिवावक और मुख्य मार्गदर्शक कि भूमिका में है ही... लक्ष्य दुरूह है पर असंभव नहीं

अब मैदान पर मुलाकात होगी.......जय भारत