आज सुबह की शुरुवात बेहद शानदार रही, ऑफिस में शिवम् शुची समन्विता कौशल मनोज न्रपेंद्र के साथ कुछ बेहद मजेदार बाते हुई. बात बात में ही समोसे और कचौडिया भी मंगाई गयी.... जाहिर सी बात है सबसे ज्यादा मज़े लेकर खाने वालो में से मै ही था, पिछले 2-3 सालो में शरीर का सत्यानाश कैसे करते है, का मै एक बड़ा उदाहरण हूँ. पर "खाने" और "सोने" का मज़ा ही कुछ अलग है.
खैर खुश होने की वजह दूसरी है, आज बचपन के दोस्त नीरज से संपर्क हुआ, उसने मेरा ब्लॉग पढ़ा और मुझे शुभकामनाये भी दी, नीरज एक इंजीनियर है और गुडगाँव में कार्यरत है. हम स्कूल के दिनों के दोस्त है. और वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था- दोस्त है. हालाँकि अब मिलना बहुत मुश्किल से हो पाता है. स्कूल में हम दोनों ने इकठा रहकर अपने शिक्षको के .....(नाक) में दम कर रखा था. कई बार क्लास से साथ साथ बाहर निकाले भी गए, पर एक स्टुडेंट के तौर पर हम दोनों तमाम गंभीर टाईप के विद्यार्थियो से बेहतर थे. हम केमेस्ट्री का ट्यूशन "पी एस यादव" के यहाँ पढने जाते थे. उनकी नज़र में हम में काबिलियत तो थी मगर लापरवाह थे......वो धमकाते थे की “तुम दोनो के लक्षण फेल होने वाले जैसे है. सिर्फ दो दिन पढ़ लो तो पास हो जाओगे”. हमने उनकी बात मानी और सिर्फ दो ही दिन पढ़ा...हम दोनों ही केमेस्ट्री में डिकटेंशन लेकर आये... UP Board में डिकटेंशन लाना बहुत बड़ी चुनौती होती है... दूसरे बोर्ड्स (90%+ Type) की पूरी इज्ज़त करते हुए मै ये कह रहा रहा हूँ……
इसके अलावा "भवन" के दोस्त ध्रुव अरोड़ा से भी बात हुई, उसका कुछ दुबई का प्लान बन रहा है- मगर अभी कुछ उसने खुलकर नहीं बताया. प्रणय शर्मा का भी जी-चैट पर ब्लॉग की बधाई का मैसेज आया पर मशरूफियत की वजह से ज्यादा बात नहीं हो पायी. वो छोटे भाई जैसा है. हमने स्टार न्यूज़ में साथ काम किया है.
सुबह मम्मी जी और पापा जी से भी फोन पर बात हई थी- पापा जी ने "हम तुम्हारे बाप है" वाली स्टाइल में ज्ञान दिया है- उनके बात करने के तरीके का मै बचपन से मुरीद हूँ- न चाहते हुए भी उन्होंने मुझे किसी काम के लिए मना लिया है, खैर फायदा भी मेरा ही है- इसलिए मै बेहद जल्दी पूरी तन्मयता से उनके आदेश पालन में लग जाऊँगा
खबर के मैदान में तमाम खबरों के बीच टेलीग्राफ पर खबर दिखी की अमेरिका में एक वेदर चैनल की "एंकर" को बुलेटिन पढ़ते वक़्त उसके बॉय फ्रैंड ने शादी के लिए लाइव प्रपोज़ किया, थोड़ी ही देर में विजुअल भी मिल गए... मामला फिक्स सा था- मगर था रोचक .
दो बेहद शातिर दोस्त दीपांशु और अरुणोदय शाम का कुछ प्रोग्राम बना रहे है, दीपांशु ने कल शाम के डिनर की लाश बिछा दी थी, देखते है आज क्या होता है……….. जो भी होगा- अगर बताने योग्य हुआ तो ज़रूर बताऊंगा