तमाम चीजों पर कभी कभी दिल करता है कुछ कहने को- कुछ लिखने को ।
दरअसल लिखने पढ़ने का शौक था पर रचनाये नहीं।
मुझे जिंदगी भाती है- इसलिए उसमें क्या क्या हुआ, यही जानना समझना पसंद करता हूँ।
और मेरा ब्लॉग भी मेरी अपनी जिंदगी है-
Tuesday, December 29, 2009
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