Monday, April 5, 2010

मंगूस

जी हाँ, किसी भी चीज़ से पहले मेरे नए नवेले बैट का ज़िक्र, मैथ्यू हेडन का नया हथियार मंगूस मेरे हाथो में भी आ गया है, खास आर्डर दे कर मैंने इसे बैट बनाने वाली मशहूर कंपनी BDM से बनवाया है, बेहद शानदार और उम्दा बैट, काफी घातक, अगर टाइमिंग अच्छी रही तो गेंद कितनी दूर जाएगी इसका अंदाज़ा आपको तभी लगेगा जब आप इससे खेलेंगे, शौक़ीन है तो अगले शनिवार को स्टार न्यूज़ ग्राउंड आप आ सकते है

भरोसा नहीं होता है की मुझे पढने वालो की संख्या 275 हो गयी है, आप सभी का शुक्रिया, लगभग एक महीने बाद आज कुछ लिखने जा रहा हूँ, विषय की फिर से कमी थी तो सोचा ज़िन्दगी की कुछ कम ज्यादा आपसे बाँट लूँ, इस बीच तमाम मित्रो ने घर खरीदे जिसमे दीपांशु गर्ग, कौशल लखोटिया, मुकेश पराशर, अमित गुप्ता खास थे सभी को बधाई,

मेरी जिंदगी में इस बीच कुछ खास नहीं, सब कुछ पहले के जैसा ही शांत और मध्यम, अब मै इसका आदि भी हो गया हूँ- इसलिए जिंदगी से फिलहाल कोई शिकायत नहीं है. काम के बाद का वक़्त पूरी तरह से आईपीएल को दे दिया है, मेरी फेवरेट टीम है RCB, उसके बाद KKR और फिर मुंबई इंडियंस. एक बात तो है ही, क्रिकेट मैच बोर नहीं होने देते (मुझे) …….. इस बीच शोयब और सानिया ने जिंदगी में आग लगा रखी है, मै कभी भी सानिया का कोई ख़ास प्रशंसक नहीं रहा हूँ, इस बात की ज़रूर ख़ुशी थी की उसे देख कर लोग अपनी बेटिओं को भी खेलो में डालने लगे, लखनऊ में भी शाम को टेनिस ग्राउंड में काफी बच्चियां टेनिस खेला करती थी और जब कभी हमारी बॉल (वॉलीबॉल) उनके कोर्ट के पास जाती थी तो हम अक्सर उन सबको सानिया कह कर ही बुलाते थे, नए बच्चे खासकर लड़कियां टेनिस कोर्ट में जाने लगी इस बात के लिए सानिया को निश्चित तौर पर कुछ श्रेय ज़रूर देना चाहिए अन्यथा उन्होंने टेनिस में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की, हाँ शोयब मालिक को मै एक क्रिकेटर के तौर पर पसंद करता आया हूँ, वो एक "यूजफुल" क्रिकेटर की श्रेणी में आता है, तेज़ बल्लेबाज़- उपयोगी गेंदबाज़ और शानदार फील्डर. दोनों एक जोड़े के तौर पर ठीक है, …व्यक्तिगत रूप से मुझे कोई दिक्कत नहीं है की उन दोनों में शादी हो जाये, मुझे ऐसा नहीं लगता की सानिया को किसी पाकिस्तानी से शादी नहीं करनी चाहिए, दीपांशु ने पूछा की अब अगर भारत और पाक का मैच होता है तो सानिया किसे सपोर्ट करेंगी, मुझे समझ में नहीं आया,…? सानिया का सपोर्ट कितना मायने रखता है, किसी को भी सानिया सपोर्ट करे- क्या फर्क पड़ता है ......वैसे शादी के बाद अगर सानिया पाकिस्तान जा कर बस जाये तो उन्हें पाकिस्तान को सपोर्ट करना चाहिए, "जहाँ की खाइए- वहीं की बजाइए".......शोयब एक पाकिस्तानी है इसलिए सानिया को उससे शादी नहीं करनी चाहिए ये तर्क मुझे समझ नहीं आता, अगर ऐसा ही है तो रीना रॉय और रीता लूथरा (ज़हीर अब्बास की बीवी) को तो फांसी ही दे देनी चाहिए थी.......खैर आयशा के परिवार के इन तर्कों में दम है की अगर कुछ हुआ ही नहीं था, तो पूरी क्रिकेट टीम उनके यहाँ डिनर पर क्यों आई थी......उनकी मांग है की शोयब शादी कबूले और तलाक दे फिर सानिया से शादी करे. .....अभी तक तो कहानी जो थी- तो थी मगर आज एक नया पेंच आया की शोएब की पत्नी होने का दावा कर रहीं आयशा सिद्दीकी ने कहा कि मैं प्रेगनेंट हुई थी, लेकिन बाद में मिसकैरेज हो गया। टेलीफोन पर टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि शोएब के साथ उनके पति-पत्नी जैसे ही संबंध रहे थे। अब कहानी कुछ पेचीदा हो गयी क्यूंकि अगर शोयब से उसके ये सम्बन्ध थे तो फिर उनका ये दावा झूठा है की फोटो किसी और की दिखाई और शादी किसी और से कर दी …. खैर सच जो भी हो, इन तीनो की जिंदगी का तमाशा तो बन ही गया

इस बार की आऊटलुक में अरुंधती राय का आलेख पढ़ा जिसमे "देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक नक्सल समस्या को कुछ इस तरह बताया गया है की जैसे ये माऒवादी ही हैं, जो सिस्टम के जुल्म से सर्वाधिक पीड़ित हैं- उनकी हत्याएं होती रही हैं, बलात्कार होता रहा है, विस्थापित होते रहे हैं, लूटे-खसोटे जाते रहे हैं। सुरक्षाबलों को खलनायको की तरह पेश किया गया है, दरअसल ये नक्सल लूटपाट, रेलवे पर हमले और पुलिस वालो की हत्या अपना भय कायम करने के लिए करते आये है और इनके समर्थक बुद्धिजीवी अराजक कार्यों को जायज ठहराने के लिए थोथी लॉजिक देते आये है. देश के प्रभावित हिस्सों में अधिकतर पुलिसकर्मी गरीब परिवारों के ही सदस्य होते हैं, जिन्हें किसी भी ऐंगल से तथाकथित वर्ग-शत्रु की परिभाषा में फिट नहीं बैठाया जा सकता। अरुंधती राय ने अपने यात्रा विवरण में नक्सल समर्थित लेख लिखा पर क्या वे कभी इन नक्सलियों के बारुद से जले लोगों से मिली हैं या क्या उन लोगो के परिवार वालो से मिली है जिनके अपनों का अंतिम संस्कार सर और धड़ की पहचान नहीं होने के कारण अनुमान के आधार पर किया गया? न जाने कितने युवा सिपाही नक्सलियों द्वारा बिछाए लैण्ड माइन्स के विस्फोट में अपनी जान गँवा बैठे? अरुंधती राय के पास शायद इन लोगो से मिलने का समय नहीं होगा, या फिर इच्छा नहीं होगी या फिर साहस नहीं होगा, इनके जैसे प्रलाप ज्ञानियो के लिए दूसरे पक्ष को भी जानना और फिर उसे बताना चाहिए ……

एक शूट पर मै हृतिक रोशन से मिला, वो परदे पर ज्यादा अच्छे लगते है (बाकि के तमाम कलाकारों विशेषकर अभिनेत्रियो के ही जैसे), लेकिन एक बाट जो मुझे दिखी को वो हिंदी में काफी कमज़ोर है, और काफी शर्मीले भी, बहरहाल मै खान जेनरेशन के बाद के अभिनेताओ में सबसे ज्यादा उन्हें ही पसंद करता हूँ और करता रहूँगा. धूम और जोधा अकबर में वो लाजवाब थे.......बाकि की बाते अगली पोस्ट में होगी

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