मनमोहन
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मोदी
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प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह ने लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए अपने भाषण में देश के सामने मौजूद समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन
समस्याओं से निपटने के
लिए अभी और कदम उठाए जाने की जरूरत है। मनमोहन सिंह ने लगातार दसवीं बार बतौर पीएम लाल किले पर तिरंगा फहराया है।
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पीएम ने अपने भाषण की
शुरुआत उत्तराखंड में पिछले दिनों आई प्राकृतिक आपदा को याद करते हुए किया। उन्होंने
वहां के राहत बचाव काम की तारीफ भी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई में हुए आईएनएस सिंधुरक्षक हादसे पर दुख जताया।
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उन्होंने कहा, 'फूड सिक्योरिटी बिल संसद के सामने है। उम्मीद है कि यह बिल जल्द ही पास हो जाएगा। इसका फायदा देश की
अधिकतर आबादी को मिलेगा। इससे 81 करोड़ भारतीयों को सस्ता अनाज मुहैया कराया जा
सकेगा। इस योजना के तहत तीन रुपये प्रति
किलो चावल, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और एक रुपये प्रति किलो मोटा अनाज दिया जाएगा। यह दुनिया भर में इस
तरह का सबसे बड़ा प्रयास है।'
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पीएम ने कहा कि मिड-डे
मील योजना के तहत हर रोज 11 करोड़ बच्चों को फायदा हो रहा है। हालांकि उन्होंने बिहार के छपरा में
हुए मिड-डे मील हादसे पर दुख जताते हुए
कहा कि ऐसा हादसा फिर कभी नहीं होना चाहिए।
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पीएम ने दावा किया कि
पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा आर्थिक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए
अभी और काम करना है। बिजली उत्पादन में
रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।
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अर्थव्यवस्था का जिक्र
करते हुए पीएम ने कहा कि पिछले साल हमारी विकास दर पांच फीसदी से कम रह गई, यह
सच है। केवल हमारा देश ही ऐसी कठिनाईयों का सामना नहीं कर रहा है, सभी
विकासशील देशों में आर्थिक मंदी का माहौल है। यूरोप में भी मंदी चल रही है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर
पीएम ने कहा, 'हाल में एलओसी पर हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। इस तरह की घटनाओं को
रोकने के लिए हम हरसंभव कोशिश करेंगे।' उन्होंने यह भी माना कि
सरकार नक्सलवाद को पूरी तरह रोकने में नाकाम रही है।
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जानकारों के मुताबिक
पीएम ने बेहद कम समय में अपना भाषण समाप्त कर दिया। जानकारों का कहना है कि आमतौर पर लालकिले पर
पीएम के भाषण के लिए 32 से 52 मिनट तक का समय निर्धारित होता है। लेकिन मनमोहन सिंह ने आज करीब 30 मिनट में ही अपना भाषण समाप्त कर दिया।
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नरेंद्र मोदी ने भुज के लालन कॉलेज से देश को संबोधित करते हुए
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को खुली चुनौती दे डाली। मोदी ने मनमोहन सिंह से कहा कि हम
छोटे राज्य हैं, आप तो
देश चला रहे हैं। लेकिन गुजरात और दिल्ली की रेस हो जाए, पता चल जाएगा कि आप क्या कर रहे हैं, हम क्या कर रहे
हैं?
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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालन कॉलेज में
तिरंगा फहराने के बाद सबसे पहले देश को आज़ाद कराने वाले शहीदों को नमन किया। उसके बाद कहा कि आज भी हम
लोग मानसिक तौर पर गुलाम हैं।
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मोदी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण का सहारा
लेते हुए प्रधानमंत्री
पर निशाना साधा।
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मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति ने कल पाकिस्तान के संबंध में कहा कि सहनशक्ति की सीमा
होती है।
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आज मुझे आशा थी कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति की बात को
आगे बढ़ाएंगे। मैं मानता हूं कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए प्रधानमंत्री के स्तर पर क्या बोला जाना चाहिए, यह मुझे मालूम
है। लेकिन देश की सेना का मनोबल बढ़ाने वाला बयान दिया जाना चाहिए।
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मैं मानता हूं कि लाल किला पाकिस्तान को ललकारने की जगह नहीं है।
लेकिन यह जगह देश की सेना का मनोबल बढ़ाने वाला जरूर है। भ्रष्टाचार बड़ी समस्या है।
राष्ट्रपति जी चिंतित है।
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आज देश में देश में सास बहू और दामाद का सीरियल चल रहा
है। मैं लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण को इसलिए सुन रहा था कि मेरे जैसे कार्यकर्ता को नई प्रेरणा मिले।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं बहुत निराश हुआ।'
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मोदी ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने सिर्फ एक परिवार को याद किया।
उन्होंने सरदार
पटेल और लाल बहादुर शास्त्री को याद नहीं किया। आप अटल बिहारी वाजपेयी को याद न
करें यह तो समझ में आता है, लेकिन आप पटेल और शास्त्री को याद न करें तो दिल को चोट पहुंचती है।'
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मोदी ने प्रधानमंत्री को ललकारते हुए, 'पंडित नेहरू ने
अपने पहले भाषण में जो समस्याएं गिनाई थीं, वही समस्याएं आपने भी गिनाईं। आपने 60 साल में क्या किया? आप एक परिवार की भक्ति में इतने डूब
गए हैं कि उत्तराखंड की मदद करने वाले राज्यों का जिक्र भी नहीं किया। मैं मरू भूमि कच्छ के भुज
से बोल रहा
हूं। मेरी बात पहले पाकिस्तान सुन लेगा, दिल्ली बाद में सुनेगी।हमने जैसे अंग्रेजों से देश
को मुक्त किया वैसे ही भ्रष्टाचार, महंगाई, परिवारवाद, आतंकवाद से मुक्त
कराना है।'
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इससे पहले आजादी की 67वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चुनौती दी थी। उन्होंने बुधवार को कहा, ‘स्वतंत्रता दिवस
पर देश की नजर दो स्थलों पर होगी। एक-लालकिला। दूसरा-लालन कॉलेज (भुज)। इस दिन हमेशा की तरह फिर थोथी बयानबाजी की
जाएगी। जबकि दूसरी जगह से लोगों को विकास की राह दिखाई जाएगी। जनता को किए गए
कार्यों का हिसाब दिया जाएगा।’
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मोदी ने कच्छ मुख्यालय भुज में एक कार्यक्रम को
संबोधित कर रहे थे। गुजरात सरकार राष्ट्रीय महत्व के पर्व राजधानी से बाहर जिला मुख्यालयों
में मनाती
है। साल-2013 के राज्य
स्तरीय स्वतंत्रता दिवस की मेजबानी कच्छ को मिली है। गुरुवार को मुख्य समारोह
भुज के लालन कॉलेज मैदान पर होना है। मोदी ने देश के नौजवानों से अपील की कि वे उन्हें देश
को सही दिशा में ले जाने के लिए समर्थन दें।
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तमाम चीजों पर कभी कभी दिल करता है कुछ कहने को- कुछ लिखने को । दरअसल लिखने पढ़ने का शौक था पर रचनाये नहीं। मुझे जिंदगी भाती है- इसलिए उसमें क्या क्या हुआ, यही जानना समझना पसंद करता हूँ। और मेरा ब्लॉग भी मेरी अपनी जिंदगी है-
Thursday, August 15, 2013
मनमोहन और मोदी के भाषण की तुलना
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