दरअसल
टुंडा एक फ्रीलान्स किलर है जो भाड़े पर ब्लास्ट करता है- पैसे लेकर उसने कभी दाऊद तो
कभी लश्कर और कभी जैश के लिए धमाके किए –
नाम
: सईद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा
मूल
निवासी : पिलखुवा ,
अशोक
नगर
4 भाषाओं हिंदी , गुजराती , उर्दू और इंगलिश की जानकारी
अगस्त
1994 में 5 मामलों में सीबीआई ने एक
चार्जशीट अजमेर की टाडा अदालत में दाखिल की थी।
कैसे
आया सुरक्षा एजेंसियों की निगाह में: 1993 में देश के कई हिस्सों में
बम ब्लास्ट हुए थे। कई ट्रेनों में हुए धमाकों की जांच की गई तो इसमें अमोनियम
नाइट्रेट और पोटैशियम नाइट्रेट यूज होने की बात सामने आई। खुफिया सूत्रों के
मुताबिक ,
इसके
बाद जानकारी मिली कि ये केमिकल गाजियाबाद के पिलखुवा में कपड़ों की रंगाई करने
वाले इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद ही टुंडा के बारे में जांच शुरू हो गई थी।
अब्दुल करीम टुंडा लश्कर-ए-तैयबा का बम
एक्सपर्ट है. टुंडा दाऊद और हाफिज सईद का करीबी है. टुंडा आतंकी संगठन लश्करे
तैयबा के अलावा जैशे मोहम्मद और मरकज अल दावा (अब इसका नाम जमात-उद दावा है) से भी
जुड़ा रहा है.
अब्दुल करीम टुंडा को वेस्टर्न यूपी में आतंक का जनक माना जाता है
इंटरपोल के लिए एक पहेली बन चुका टुंडा बम बनाने का मास्टर है। कभी उसकी पाकिस्तान में होने की चर्चा रही तो कभी केन्या और कभी बांग्लादेश में होने की
गाजियाबाद पुलिस के रेकॉर्ड में टुंडा के खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं।
इसके अलावा दिल्ली के सदर बाजार , मालवीय नगर और राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में भी उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं।
बताया जाता है कि उसका परिवार पाकिस्तान में है।
पिलखुवा के अशोक नगर का अब्दुल करीम उर्फ टुंडा एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए उसने अशोक नगर , पिलखुवा में ही अपना गुप्त अड्डा बना लिया था।
1992
में टुंडा अचानक अपनी बीवी जरीना के साथ कहीं लापता हो गया था। 2 साल बाद वह अपनी दूसरी बीवी मुमताज के साथ लौटा था। इसी दौरान उसके आतंकियों से संबंध हो गए थे।
1995
में देश की खुफिया एजेंसियों को उसके बारे में जानकारी मिली। हालांकि जब तक सुरक्षा एजेंसियां छापा मारकर उसे दबोचने की कोशिश करतीं , तब तक वह भाग निकला। उसके घर से एजेंसियों को कई आपत्तिजनक कागज और बम बनाने का सामान मिला था।
टुंडा
1996 से 1998 के बीच भारत में अलग-अलग
जगहों पर हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड रह चुका है.
इतना
ही नहीं 2000 से 2005 तक माना जाता था कि टुंडा
मर चुका है,
लेकिन
2005
LeT चीफ
कॉर्डिनेटर अब्दुल रजाक मसूद ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया था कि टुंडा अभी भी जिंदा
है. उसने खुलासा किया था कि टुंडा जिंदा है और उसकी पत्नी और दो बच्चे भी हैं.
26/11
के
मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान को सौंपे गए डोजियर में टुंडा का नाम 15वें स्थान पर था. इस हमले
में 166 लोगों की मौत हुई थी
पाकिस्तान
की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 80 के दशक में ट्रेनिंग दी थी, साल 2000 में भारत की खुफिया
एजेंसियां उसके करीब पहुंच गई थीं, लेकिन केन्या पुलिस ने उस
वक्त उसे भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था
nyc sir. informative :)
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