राहुल गाँधी कहते है- साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं...
दिग्विजय कहते है- हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है
सत्यव्रत कहते है- कौन सा पहाड़ टूट पड़ा
सुबोधकांत सहाय- (मुंबई धमाकों के बाद फैशन शो के मजे लूट रहे थे) कहते है- जिंदगी चलती रहनी चाहिए
चिंदबरम कहते है- पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं।
जब आप और हम बम धमाकों की वजह से कुछ कुछ गुस्से में, कुछ कुछ परेशां और बहुत ज्यादा तड़प में थे, तब आंसू बहाती मुंबई और मुंबईकरो के जख्मों पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी नमक चस्पा कर रहे थे। राहुल गांधी ने मुंबई हमलों पर ऐसा बयान दिया है, सुन कर ही नसों में उबाल आता है, कोई बाहरी कहे तो आप मारपीट पर उतर आयेंगे, पर ये सज्जन तो देश पर राज करने वाली पार्टी के युवराज है । उनके मुताबिक आतंकी हमलों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता और एक दो धमाके तो हो ही सकते हैं। अमेरिका वाले जब ईराक और अफगानिस्तान में अपने नागरिको पर हमले नहीं रोक पाए तो हम कहाँ से रोके। राहुल ने साथ में ये भी कहा कि हम बहुत से हमले रोक लेते हैं लेकिन उसके बाद भी एक दो हमले हो जाते हैं तो क्या हुआ।
असंवेदनशीलता और मुर्खता का अद्भुत संगम है श्री गाँधी का ये बयान। शर्म भी नहीं आती उन्हें ये कहने में की "साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं, ऐसे हमले रोकना मुश्किल काम है" । चूँकि काम मुश्किल है इसलिए कांग्रेस इस काम को करेंगी ही नहीं। हमले होते है तो होते रहें। मरते रहेंगे लोग। मुंबई में शाम को जब ये हमले हुए तो मै शिफ्ट में था। चारो तरफ खून, लाशो के बिखरे हिस्से और डरे सहमे लोगो के विजुअल्स मैंने आते देखे। न जाने ऐसे कितने दृश्य थे जो इतने वीभत्स थे कि उन्हें चैनल पर चलने से रोक दिया गया। सोचिये की उन माँ बाप पर क्या गुज़रती होगी है जब सुबह काम पर घर से निकले उनके बेटे की लाश टुकड़ों में आती है। कैसे वो एक बिखरे शरीर को जोड़ कर कहता होगा की यही है मेरा बेटा। चेहरा पहचान में नहीं आता होगा तो कभी अलग पड़े हाथ की घडी से तो कभी बिखरे पैर पर पड़े बचपन के किसी निशान से पहचानता होगा की हाँ ये जो टुकड़े पड़े है, इन्हें जोड़ो तो मेरा बेटा बनेगा। ………….बेवकूफ आदमी, समझने को तैयार ही नहीं है की "साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं"
अब जानिये की उनके गुरु गोविन्द दिग्विजय सिंह क्या कहते है। दिग्गी के मुताबिक “सवा अरब लोगों के देश में ऐसा हो जाता है। कम से कम हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है। दिग्गी ने ये शानदार सफाई दी अपने चेले राहुल को बचाने के लिए। अब चूँकि राहुल ने ही कह दिया कि एक दो हमले तो हो ही सकते हैं, तो हो सकते हैं। दिग्विजय सिंह की महिमा पर तो मै सालो से कुर्बान हूँ। ये वही सज्जन है जो "लादेन जी" कहते है। अब ये पाकिस्तान से बेहतरी पर ताली पीट रहे हैं। उस पाकिस्तान से जहां प्रधानमंत्री को लात मार कर भगा दिया जाता है, और सेना जब चाहे सत्ता पर काबिज हो जाती है। राहुल गांधी की शान में कसीदे पढ़ते हुए दिग्विजय सिंह को कठ्मुल्लाओ के हाथ में बंधक पाकिस्तानी लोकतंत्र से भारत की तुलना करते हुए शर्म भी नहीं आई।
गृहमंत्री पी चिदंबरम मुंबई धमाकों पर बहाना बनाने के अलावा बेतुकी दुलीलें भी दे रहे हैं। चिंदबरम का कहना है कि पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं। इनका कहना है कि 31 महीने में मुंबई में कोई धमाका नहीं हुआ और बुधवार को जहां धमाके हुए वो संकरी गलियां हैं। खुश हो जाइए मिस्टर चिदंबरम, पर 27 साल के प्रभात के परिवार वालो का क्या । प्रभात दोस्तों से मिलने ओपेरा हाउस गया था। शादी महज 8 महीने पहले हुई थी। ब्लास्ट में वो नहीं रहा, पर चिदंबरम साहब की उपलब्धि है की 31 महीने में मुंबई में कोई धमाका नहीं हुआ। बात भी खुश होने वाली है की आखिर आमची मुंबई अभी तक काबुल नहीं हुई है।
एक और नेता है, नाम है सत्यब्रत चतुर्वेदी, इनका कहना है की "कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है" । बात तो सच है, केंद्र में कांग्रेस, महारष्ट्र में कांग्रेस, और मुंबई में लगातार बम धमाके। इस बार के धमाको में तो 50 लोग भी नहीं मरे, फिर कौन सा पहाड़ टूटा पड़ा है।
ताज़ा ताज़ा सामने आये है सुबोध कान्त सहाय। बुधवार की शाम जब मुंबई में एक के बाद एक तीन धमाके हुए थे, उसी शाम दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय दिल्ली के पांच सितारा होटल में रैंप पर कैटवॉक देख रहे थे। कम से कम इनको ऐश्रवर्या राय से सीखना चाहिए जिसने धमाके की खबर लगते ही दिल्ली में फ्रांस की तरफ से दिए गए सम्मान के लिए आयोजित समारोह को टलवा दिया। फैशन शो के बाद जब इनसे मुंबई धमाको के बारे में पूछा गया तो सरकार कहते की " जिंदगी चलती रहनी चाहिए"। शाबाश सहाय साहब, क्या बात है। आखिर जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल तो वो मुंबई वाले है और वो साले मरते रहेंगे ।
तो जनाब ऐसा है की आप जनता है और आप के नसीब में है मरना।
आप मरते रहिये, पर खुश रहिये।
क्यूंकि ---जिंदगी चलती रहनी चाहिए
क्यूंकि ---साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं...
क्यूंकि ---हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है
क्यूंकि ---कौन सा पहाड़ टूट पड़ा
क्यूंकि ---पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं।
दिग्विजय कहते है- हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है
सत्यव्रत कहते है- कौन सा पहाड़ टूट पड़ा
सुबोधकांत सहाय- (मुंबई धमाकों के बाद फैशन शो के मजे लूट रहे थे) कहते है- जिंदगी चलती रहनी चाहिए
चिंदबरम कहते है- पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं।
जब आप और हम बम धमाकों की वजह से कुछ कुछ गुस्से में, कुछ कुछ परेशां और बहुत ज्यादा तड़प में थे, तब आंसू बहाती मुंबई और मुंबईकरो के जख्मों पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी नमक चस्पा कर रहे थे। राहुल गांधी ने मुंबई हमलों पर ऐसा बयान दिया है, सुन कर ही नसों में उबाल आता है, कोई बाहरी कहे तो आप मारपीट पर उतर आयेंगे, पर ये सज्जन तो देश पर राज करने वाली पार्टी के युवराज है । उनके मुताबिक आतंकी हमलों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता और एक दो धमाके तो हो ही सकते हैं। अमेरिका वाले जब ईराक और अफगानिस्तान में अपने नागरिको पर हमले नहीं रोक पाए तो हम कहाँ से रोके। राहुल ने साथ में ये भी कहा कि हम बहुत से हमले रोक लेते हैं लेकिन उसके बाद भी एक दो हमले हो जाते हैं तो क्या हुआ।
असंवेदनशीलता और मुर्खता का अद्भुत संगम है श्री गाँधी का ये बयान। शर्म भी नहीं आती उन्हें ये कहने में की "साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं, ऐसे हमले रोकना मुश्किल काम है" । चूँकि काम मुश्किल है इसलिए कांग्रेस इस काम को करेंगी ही नहीं। हमले होते है तो होते रहें। मरते रहेंगे लोग। मुंबई में शाम को जब ये हमले हुए तो मै शिफ्ट में था। चारो तरफ खून, लाशो के बिखरे हिस्से और डरे सहमे लोगो के विजुअल्स मैंने आते देखे। न जाने ऐसे कितने दृश्य थे जो इतने वीभत्स थे कि उन्हें चैनल पर चलने से रोक दिया गया। सोचिये की उन माँ बाप पर क्या गुज़रती होगी है जब सुबह काम पर घर से निकले उनके बेटे की लाश टुकड़ों में आती है। कैसे वो एक बिखरे शरीर को जोड़ कर कहता होगा की यही है मेरा बेटा। चेहरा पहचान में नहीं आता होगा तो कभी अलग पड़े हाथ की घडी से तो कभी बिखरे पैर पर पड़े बचपन के किसी निशान से पहचानता होगा की हाँ ये जो टुकड़े पड़े है, इन्हें जोड़ो तो मेरा बेटा बनेगा। ………….बेवकूफ आदमी, समझने को तैयार ही नहीं है की "साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं"
अब जानिये की उनके गुरु गोविन्द दिग्विजय सिंह क्या कहते है। दिग्गी के मुताबिक “सवा अरब लोगों के देश में ऐसा हो जाता है। कम से कम हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है। दिग्गी ने ये शानदार सफाई दी अपने चेले राहुल को बचाने के लिए। अब चूँकि राहुल ने ही कह दिया कि एक दो हमले तो हो ही सकते हैं, तो हो सकते हैं। दिग्विजय सिंह की महिमा पर तो मै सालो से कुर्बान हूँ। ये वही सज्जन है जो "लादेन जी" कहते है। अब ये पाकिस्तान से बेहतरी पर ताली पीट रहे हैं। उस पाकिस्तान से जहां प्रधानमंत्री को लात मार कर भगा दिया जाता है, और सेना जब चाहे सत्ता पर काबिज हो जाती है। राहुल गांधी की शान में कसीदे पढ़ते हुए दिग्विजय सिंह को कठ्मुल्लाओ के हाथ में बंधक पाकिस्तानी लोकतंत्र से भारत की तुलना करते हुए शर्म भी नहीं आई।
गृहमंत्री पी चिदंबरम मुंबई धमाकों पर बहाना बनाने के अलावा बेतुकी दुलीलें भी दे रहे हैं। चिंदबरम का कहना है कि पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं। इनका कहना है कि 31 महीने में मुंबई में कोई धमाका नहीं हुआ और बुधवार को जहां धमाके हुए वो संकरी गलियां हैं। खुश हो जाइए मिस्टर चिदंबरम, पर 27 साल के प्रभात के परिवार वालो का क्या । प्रभात दोस्तों से मिलने ओपेरा हाउस गया था। शादी महज 8 महीने पहले हुई थी। ब्लास्ट में वो नहीं रहा, पर चिदंबरम साहब की उपलब्धि है की 31 महीने में मुंबई में कोई धमाका नहीं हुआ। बात भी खुश होने वाली है की आखिर आमची मुंबई अभी तक काबुल नहीं हुई है।
एक और नेता है, नाम है सत्यब्रत चतुर्वेदी, इनका कहना है की "कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है" । बात तो सच है, केंद्र में कांग्रेस, महारष्ट्र में कांग्रेस, और मुंबई में लगातार बम धमाके। इस बार के धमाको में तो 50 लोग भी नहीं मरे, फिर कौन सा पहाड़ टूटा पड़ा है।
ताज़ा ताज़ा सामने आये है सुबोध कान्त सहाय। बुधवार की शाम जब मुंबई में एक के बाद एक तीन धमाके हुए थे, उसी शाम दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय दिल्ली के पांच सितारा होटल में रैंप पर कैटवॉक देख रहे थे। कम से कम इनको ऐश्रवर्या राय से सीखना चाहिए जिसने धमाके की खबर लगते ही दिल्ली में फ्रांस की तरफ से दिए गए सम्मान के लिए आयोजित समारोह को टलवा दिया। फैशन शो के बाद जब इनसे मुंबई धमाको के बारे में पूछा गया तो सरकार कहते की " जिंदगी चलती रहनी चाहिए"। शाबाश सहाय साहब, क्या बात है। आखिर जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल तो वो मुंबई वाले है और वो साले मरते रहेंगे ।
तो जनाब ऐसा है की आप जनता है और आप के नसीब में है मरना।
आप मरते रहिये, पर खुश रहिये।
क्यूंकि ---जिंदगी चलती रहनी चाहिए
क्यूंकि ---साल में एक-दो हमले तो हो ही सकते हैं...
क्यूंकि ---हम पाकिस्तान की तुलना में बेहतर हैं, वहां हर हफ्ते धमाके होते रहते है
क्यूंकि ---कौन सा पहाड़ टूट पड़ा
क्यूंकि ---पूरी दुनिया में होती रहती हैं आतंकी घटनाएं।
Everyone is feeling the same pain except these stupid an insensitive politicians....They are just concerned about their votes.....Once Ex Home minister Shivraj Patil used to show his wardrobe now Subodhkant Sahay has replaced him by his so called "ZINDADALI"...
ReplyDeleteI must say gud post....Not only you rest of the world also thinks the same.
bahut sahi likha hai aapne....ye to nahin keh sakti ki bahut achcha kaha hai...kyunki jo hua hai wo itna dardnaak hai ki uski tareef nahin ker sakte...aur ye bhi sach hai ki dardnaak bolne per bhi hum us dard ka andaaza nahin laga sakte jo un logon ko hua hoga jo is dhamaake se kisi bhi roop me prabhavit hue hain...
ReplyDeletejo bhi ho...politicians ki samvedansheelta jab is tarah k statements deti hai to hum logon me rosh utpann hona bahut swabhavik hai...
in logon ne jo kaha , wo sahi ho sakta hai ki aur bahut se blasts rokne me ye kamyab hue ho...per kuch bhi kehne se pehle bas ek cheez hamesha hum sabhi ke dimaag me rehni chhaiye...ki hamare leaders k liye to hum janta hain, per jo marta hai wo kisi ka beta, pati ya bhai hota hai, blast 10 saal me ho ya her hafte, jo gaya kisi ka wo dobara kabhi nahin aayega, ye koi plantation nahin jo baarish ke mausam me phir hara ho jayega.
bahut sahi likha hai aapne....ye to nahin keh sakti ki bahut achcha kaha hai...kyunki jo hua hai wo itna dardnaak hai ki uski tareef nahin ker sakte...aur ye bhi sach hai ki dardnaak bolne per bhi hum us dard ka andaaza nahin laga sakte jo un logon ko hua hoga jo is dhamaake se kisi bhi roop me prabhavit hue hain...
ReplyDeletejo bhi ho...politicians ki samvedansheelta jab is tarah k statements deti hai to hum logon me rosh utpann hona bahut swabhavik hai...
in logon ne jo kaha , wo sahi ho sakta hai ki aur bahut se blasts rokne me ye kamyab hue ho...per kuch bhi kehne se pehle bas ek cheez hamesha hum sabhi ke dimaag me rehni chhaiye...ki hamare leaders k liye to hum janta hain, per jo marta hai wo kisi ka beta, pati ya bhai hota hai, blast 10 saal me ho ya her hafte, jo gaya kisi ka wo dobara kabhi nahin aayega, ye koi plantation nahin jo baarish ke mausam me phir hara ho jayega.
Nice Ravi I will certainly appreciate your words because a common man can only understand the sorrow of a common man. These politicians have no heart to feel and no brain to think before saying any thing publically, they just know how to use them as vote bank only........They will certainly wake up when one day they lost their loved ones in same situations...
ReplyDeletemei to sirf itna he kehna chahungi ki jab tak 1-2 politicans jo humare paise se di gayi security leke ghoomte hei, khud in blasts ke shikaar nai banenge tab tak ye us dard ko samajh b nai payenge. aise he bauhot sare kasaab hamare desh mei blasts karke, maze se hamare he desh ki tea coffee saalon saal enjoy karenge aur unke dost aise he unke birthdays pe unki shaan mei bomb blasts karke chale jayenge. humei he seekhna padegi ki jaan hatheli pe leke chalna kisi kehte hei...
ReplyDeleteRavi Ji,
ReplyDeleteBahut achha likha hai aur mere bhi kuchh vichar hain is vishay me jinhe likhta hu, samay lage to dekhiyega.
Ye Raajniti hai. Matlab seedha sa ye hai ki agar Congress ki sarkar nahi hoti Maharashtra me to aisa kahne ki himmat koi nahi kar pata. Ab Rahul baba kya bole ki ki hamari sarkar nikammi hai jo kuchh nahi kar pati, jab jahan jisko jo man karta hai fod kar chal deta hai?
Digvijay bhai ka kahna ki jab thode se log Pakistan me hain fir bhi vahan roj ho rahe hain dhamake to hum to sava arab hain bhai.
R R Patil ne 26/11 par kaha tha ki "bade bade desho me aisi chhoti chhoti bate hoti rahti hain", is par pahle unko hataya gaya fir agli vidhan sabha me vapas grih mantralay de dia gaya. Ab aise aise udahran hain, ki agar maan lijiye ki Rahul ji maharaj apni baat par sharminda hokar Congress mahasachiv pad se isteefa de de, to bharat maa ki veer sapoot congress ke kam se kam 100 MP isteefa de denge unko manane ke liye.
Ab aise me ye kuchh bhi kah sakte hain, kyonki jab ye Bhatta Parsola gaye tab na in par bomb fenka gaya, na hi jab inki giraftari hui tab in par laathi chali ya ansu gas ke gole dage gaye. To dusaro ka dard kaise samajh aayega?
Dard to inko sirf Dalit parivaro ka samjh aata hai jinka vote Maya madam ki jholi me ja raha hai pichhale 1.5 dasakon se.
Chaliye Jai Ram ji ki....