एक लाइन में - मजेदार है “मेरे डैड की मारुती” की सवारी
हिट या फ्लॉप - पिक्चर तो अच्छी है- हिट आप बनायेंगे
देखें या न देखें - देख सकते है
खोसला का घोसला
ने एक नया ट्रेंड शुरू किया- “मध्यमवर्गीय आम शहरी की
कहानी और उस पर कामेडी की चाशनी से सराबोर फिल्म”। मेरे डैड की
मारुति’ इसी किस्म की फिल्म है.
कहानी क्या है ?
कहानी चंडीगढ़ की
है जिसमे तेज़ तर्रार लेकिन कंजूस बाप तेजिंदर (राम कपूर) अपने नालायक बेटे समीर
(साकिब सलीम) की हरकतों से हमेशा परेशां रहता है। समीर एक लड़की जसलीन (रिया) पर
फ़िदा है। जसलीन के साथ डेट पर जाने के लिए समीर अपने डैड की नई मारुति बिना बताये
लेकर चला जाता है। मुसीबत तब शुरू होती है जब वो कार खो जाती है। तुर्रा ये कि कार
भी दहेज़ में देने के लिए है। कहाँ गयी कार,
कैसे मिलेगी, कब मिलेगी क्यूंकि घर में शादी के कुछ ही दिन बाकि है – इसी सबको लपेटे हुए है “मेरे डैड की मारुती” ।
फिल्म में खास क्या है ?
पिछले कुछ वक़्त
से यशराज फिल्म्स लगातार युवा दर्शकों को ध्यान में रख कर फिल्में बनाते रहे है।
इस फिल्म में भी वही सारे मसाले है मसलन चंडीगढ़ में एक पंजाबी परिवार में शादी की
माहौल, आज के दौर में बाप-बेटे
का रिश्ता, प्यार और दोस्ती, पंजाबी म्यूजिक और इसी अंदाज़ में बोले गए डायलॉग। फैशन की
जुबां में कहे तो ये सारी चीज़े आजकल “इन” है और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती हैं। मेरे डैड की
मारुती भी इसी किस्म की फिल्म है। यह युवाओं की फिल्म है जो उन्ही की जुबां में
बनी उन्ही की कहानी कहती है।
एक्टिंग कैसी रही ?
हीरो हिरोइन को
एक तरफ रखिये क्यूंकि बाज़ी मारी है राम कपूर ने। फिल्म में सबसे ज्यादा ताली उन्ही
के हिस्से आयी है। हर वक्त बेटे से चिढ़े और डांटने वाले पिता के रुप में राम ने
लाजवाब काम किया है। ‘मुझसे फ्रांडशिप करोगे’ में नजर आए साकिब सलीम इस फिल्म में लीड में है और उनका काम
भी अच्छा है। राम कपूर और उनके साथ के सीन तो काफी गुदगुदाते है। फिल्म से डैब्यू
करने वाली वीजे रिया चक्रवर्ती ओवरएक्टिंग की खासी शिकार नज़र आती है। बाकियों के
हिस्से कुछ खास नहीं है, हाँ हीरो के दोस्त बने
प्रबल पंजाबी भी जमे है।
बाकी सब ?
फिल्म के परिवेश
के मुताबिक संवाद से लेकर गाने तक सब कुछ पंजाबी है। निर्देशक आशिमा छिब्बर की इस
बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए की उन्हें पता था की वो क्या दिखा रही है और
उन्होंने उसे कायदे से दिखाया भी। चूँकि
माहौल भी शादी का है तो ऐसे में नाच-गाने बुरे भी नहीं लगते। मीका की आवाज़ में “पंजाबियां दी बैटरी चार्ज रैंदी है” हिट हो ही चुका है।
आखिरी बात
ये फिल्म मनोरंजन
का एक बढ़िया पैकेज है तो अगर इस वीकेंड आपके पास करने को कुछ खास नहीं है तो
फैमिली के साथ “मेरे डैड की मारुती” की सवारी ज़रूर की जा सकती है
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