Wednesday, April 10, 2013

कितना गंभीर है कोरिया का खतरा


         कोरियाई द्वीप के तनाव और संकट पर इन दिनों पूरी दुनिया की नज़र है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया बनाम उत्तर कोरिया के बीच चल रही बयानबाजी और सामरिक रणनीति पूरे विश्व पटल में चिंता का विषय बनने लगी है। माहौल तो कुछ यूँ बन रहा है कि जैसे युद्ध की पटकथा लिखी जा चुकी है और बस कभी भी, कुछ भी हो सकता है। दक्षिण कोरिया की तरफ से आधिकारिक बयान आया है कि उत्तरी कोरिया ने देश के पूर्वी समुद्री तटवर्ती इलाके में मध्यम दूरी तक मार करने वाला अपना दूसरा बैलिस्टिक मिसाइल भी पहुँचा दिया है इसीलिए दक्षिण कोरिया भी सीमा के पास टोही ड्रोन विमान लगाने जा रहा है। इस लेख की शुरुवात के साथ ही अभी अभी ये खबर भी आ गयी कि जापान ने भी टोक्यो के पास पैट्रियाट मिसाइल तैनात कर दी है। एजेन्सीओ के मुताबिक प्योंयांग से किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए जापान ने यह कदम उठाया है। जैसे इतना ही काफी न हो, उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया में रह रहे विदेशियों को युद्ध की स्थिति में देश खाली करने की चेतावनी जारी कर दी है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उत्तर कोरिया ये नहीं चाहता की किसी अप्रिय स्थित में दक्षिण कोरिया में रह रहे विदेशियो को कोई नुक्सान हो इसीलिए सभी विदेशीनागरिकों से अपील है कि वो सुरक्षित निकलने की व्यवस्था कर लें । साथ ही उत्तर कोरिया ने अपनी सेना को इस बात की इजाजत भी दे दी कि वह अमेरिका से निपटने के लिए परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकती है। सिर्फ यही नहीं उत्तर कोरिया ने विश्व समुदाय को आगाह किया है कि मौजूदा बढ़ते तनाव को देखते हुए किसी तरह की टकराव की स्थित में 10 अप्रैल के बाद वह अपने यहाँ स्थित विदेशी दूतावासों को सुरक्षा नहीं दे पाएगा। तो क्या विश्व सचमुच टकराव या यूँ कहे युद्ध के मुहाने पर खड़ा है? क्या वाकई उत्तर कोरिया किसी भी समय अपनी मिसाइलों से अमेरिकी एवं दक्षिण कोरियाई सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकता है ?

           ताज़ा मामले की जड़ में 12 फरवरी को उत्तर कोरिया द्वारा तीसरा परमाणु परीक्षण किये जाने और अमेरिका व दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास को जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल दिक्कते तब शुरू हो जाती है जब एक परमाणु संपन्न राष्ट्र तानाशाही प्रवृत्ति के लोगो या व्यवस्था के हाथ में हो। उत्तर कोरिया की राष्ट्रीय नीति में पहले सेना  और नागरिक बाद में हैं। चूँकि सत्ता में एक ही परिवार का बोलबाला है तो ऐसे में न तो कोई हटाने वाला है और न ही कोई रोकने वाला, साथ ही परमाणु संपन्न राष्ट्र की दावेदारी भी है। ऐसे में उत्तरी कोरिया को लगता है कि वो अपनी दबंगई से दुनिया के सामने शर्ते पेश कर सकता है और मनवा भी सकता है। उत्तर कोरिया के नेतृत्व में हाल ही में बदलाव हुआ है। दिसंबर 2011 में किम जांग इन के निधन के बाद उनके सबसे छोटे पुत्र किम जांग उन ने सत्ता संभाली है। किम जांग उन अपने बड़े भाइयों किम जांग नाम और किम जांग चुल से कहीं ज्यादा उग्र और अतिवादी माने जाते है और इसीलिए उन्हें ही राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया। दरअसल युवा तुर्क नेता किम जांग उन को सत्ता पर अपनी पकड़ साबित करनी है और उसी के चलते उन्होंने एक बेहद खतरनाक रास्ता अखित्यार कर लिया है। लगातार बढ़ते वैश्विक दबाव और अमरीकी-दक्षिणी कोरियाई सैन्य-अभ्यासों के चलते उन ने अपनी सत्ता को मज़बूत करने और स्थानीय लोकप्रियता को बनाये रखने के लिए विदेशी ताकतों का खतरा दिखा कर पश्चिम के ख़िलाफ़ आग उगलनी शुरू कर दिया।

              हालात इस कदर बिगड़े है कि अमरीका के विदेश मंत्री जॉन कैरी और सँयुक्त सैन्य मुख्यालय के अध्यक्ष मार्टिन डैम्प्सी की चीन यात्रा जल्द ही होने वाली है । अमेरिका का मानना है कि चीन को उत्तरी कोरिया पर अपने असर का इस्तेमाल करना चाहिए। पिछले क़रीब चार साल तक चीन और अमरीका के बीच इस स्तर पर सैन्य-अधिकारियों का आदान-प्रदान नहीं हुआ था। खास बात यह भी है कि फिलहाल उत्तर कोरिया का सबसे विश्वस्त सहयोगी चीन भी उससे खफ़ा नज़र आ रहा है और अमेरिका विरोधी माने जाने वाले नेता मसलन फिदेल कास्त्रो भी उत्तर कोरिया को किसी तरह के विवाद से बचने की सलाह दे चुके हैं। जाहिराना तौर पर इस कदर अकेला पड जाने वाला कोई भी देश किसी मुक्कमल लड़ाई में कूदना नहीं चाहेगा। इसीलिए जानकारों के मुताबिक उत्तर कोरिया की ये सारी कवायद अपने ऊपर लगे तमाम आर्थिक प्रतिबंधों को ढीला कराने की हो सकती है। किम जांग उन खुद को क्रान्ति लाने वाला साबित करते हुए चाल चल रहे है कि तनाव का स्तर इस कदर बढ़ा दिया जाए कि दुनिया उन्हें पुचकारने लगे और शैतान नादान बच्चा समझ कर आर्थिक प्रतिबन्ध हटाते हुए दूसरी तमाम रियायतें दे दे । किम जांग उन को लगता है कि दुनिया एक बिगडैल परमाणु संपन्न देश के नखरे उठा सकती है। ऐसे में उनकी रणनीति तनाव दिखाते हुए सौदेबाजी करने की है। इसीलिए सबसे पहले जानबूझ कर ये माहौल बनाया गया कि उत्तर कोरिया हमले की तैयारी कर रहा है, और फिर ये खबर भी उडी कि उत्तर कोरिया अपना चौथा परमाणु परीक्षण करने की योजना बना रहा। हालाँकि मामला केवल धमकी तक ही सीमित नहीं है। तमाम समाचार एजेंसिओ से खबर आ रही है कि उत्तर कोरिया मिसाइल हमला कर सकता है। हालात को देखते हुए अमेरिकी समाचार पत्रों के मुताबिक दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने जवाबी हमले की तैयारी कर ली है। रिपोर्ट के मुताबिक जवाबी कार्रवाई इस तरह की होगी कि युद्ध को फैलने से रोका जा सके। रिपोर्ट में लिखा गया है कि जवाबी हमला तुरंत होगा और इस तरह होगा कि उत्तर कोरियाई हमला ढीला पड़ जाए। साथ ही अगर उत्तर कोरिया अपनी नई मुसुदन मिसाइल छोड़ता है तो तुरंत ही उसकी लोकेशन को पता लगा कर रास्ते में ही नष्ट कर दिया जाएगा।

            हालांकि विशेषज्ञों का अब भी ये मानना है उत्तर कोरिया तमाम उकसाने वाली कारवाई करके सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन फिर भी किसी हमले या बेहद छोटे स्तर के युद्ध की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या हालात सचमुच इस हद तक खतरनाक हो सकते हैं? ऐसा नहीं है कि इस तनाव को कम करने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। सबसे पहले अमेरिका ने अपनी इंटरकॉनटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिसाइल का परीक्षण मई तक टाल दिया है। उसके बाद माहौल में शांति बनाये रखने के लिए दक्षिण कोरिया के रक्षा प्रमुख का वाशिंगटन दौरा भी फिलहाल टाल दिया गया है। साथ ही बैकडोर चैनल से चीन उत्तर कोरिया को समझाने में लगा हुआ है। साफ़ है की दुनिया की हर महाशक्ति अपनी अपनी भूमिका में है। अमेरिका और जापान जहाँ सख्ती के तेवर लिए हुए हैं तो वही रूस लगातार 2009में रुकी बातचीत को फिर से शुरू कराने की कोशिश में है जबकि चीन की भूमिका उत्तरी कोरिया को पुचकारते हुए समझाने की है। ऐसे में सबकी नज़रे कोरियाई ज़मीन पर लगी हुई है क्यूंकि विश्व न तो एक और युद्ध चाहता है और न ही बर्दाश्त कर सकता है। फिलहाल एक बात तो साफ़ है कि लाख कोशिशो के बावजूद प्योंगयोग की ओर से लगातार हमलों की धमकी दिए जाने से संकट के बादल पूरी दुनिया पर छाये हुए है क्यूंकि युद्ध कहीं भी हो, नुकसान दुनिया के हर कोने में बैठे शख्स को होता है।

4 comments:

  1. Bahut hi achha likha hai aapne!

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  2. हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया चन्दन सर

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  3. srijan narayan4/12/2013 10:18:00 PM

    you got it wrong in the first line - unlike japan - korea is not an island, its a peninsula.

    However the article - on the whole is well written and lucid!

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